Abraham lincoln biography in hindi | biography of abraham lincoln in hindi | Abraham lincoln jivni in hindi
दोस्त तो आज मैं बात करने जा रहा हूं अमेरिका के अब तक के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की जिन्होंने अमेरिका सहित पूरे विश्व में दास प्रथा को खत्म करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन उन्होंने जिन संघर्षों के बाद यह मुकाम हासिल किया था मुझे नहीं लगता कि उनके अलावा यह किसी और के बस की बात होगी
Abraham lincoln biography in hindi | biography of abraham lincoln in hindi | Abraham lincoln jivni in hindi
अब्राहम लिंकन का पूरा नाम क्या था (what was abraham lincoln full name) — अब्राहम थॉमस लिंकन
अब्राहम लिंकन का जन्म कब हुआ (when was abraham lincoln born) – – 12 फरवरी 1809
अब्राहम लिंकन का जन्म स्थान (birth place of abraham lincoln) – होड्जेंविल्ले केंटुकी (अमेरिका)
अब्राहम लिंकन की पत्नी का नाम क्या था (what was abraham lincoln wife’s name) – मेरी टाड
अब्राहम लिंकन के बच्चे का नाम क्या था (what was abraham lincoln baby name) – रॉबर्ट, एडवर्ड, विल्ली और टेड
अब्राहम लिंकन के पिता का नाम क्या था (what was abraham lincoln father’s name) – थॉमस लिंकन
अब्राहम लिंकन के माता का नाम क्या था ( what was abraham lincoln mother’s name) – नेंसी
अब्राहम लिंकन के दादा का नाम क्या था (what was abraham lincoln grandfather’s name ) – बहे कैप्टन अब्राहम लिंकन
अब्राहम लिंकन की हत्या कब हुए थी (When was abraham lincoln assassinated) – 15 अप्रेल 1865
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अब्राहम लिंकन का बचपन इतनी गरीबी में बीता कि उनके पूरे परिवार को एक घर के लिए दर-दर ठोकरें खानी पड़ी उनके पिता के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अब्राहम को स्कूल भेज सके लोगों से मांगे हुए किताबों से अब्राहम ने पढ़ाई की अपना पेट पालने के लिए उन्होंने बचपन से ही मजदूरी करना स्टार्ट कर दिया 9 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया
जिस लड़की से प्रेम किया और शादी करना चाहते थे उसकी भी मृत्यु हो गई, दास प्रथा के खिलाफ लड़ने के लिए चुनाव की तरफ रुख किया तो उसमें भी उन्हें कई बार हार का सामना करना पड़ा उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी था जब छोरी और चाकू से वह दूर रहते थे क्योंकि वह अपने आप से इतने हार गए थे कि उन्हें डर था वह कहीं खुद को ना मार ले लेकिन दोस्तों अगर हार मान लो नहीं तो कोशिश बेकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
अपने संघर्षों के दम पर उन्होंने अमेरिका के 16 में राष्ट्रपति का चुनाव जीता और अमेरिका को उसकी सबसे बड़े संकट अमेरिकन सिविल वार यानि अमेरिकी गृह युद्ध से पार लगाया और दास प्रथा को जड़ से खत्म कर दिया तो दोस्तों आइए
गरीबी से लेकर वाइट हाउस तक का सफर तय करने वाले अब्राहम लिंकन के बारे में हम डिटेल में जानते हैं
अब्राहम लिंकन 6 साल के हुए तब उन्हें एक स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया लेकिन घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें खेतों में काम करके अपने पिता का बटाना पड़ता था और उनके पिता भी कभी नहीं चाहते थे कि आप पढ़ाई लिखाई करें इसी वजह से ना चाहते हुए भी कुछ ही दिनों में अब्राहम को पढ़ाई छोड़ना पड़ा हालांकि उन्हें पढ़ाई लिखाई का बहुत शौक था और वह दूसरों से किताबे लेकर जब भी वक्त पढ़ने लगते थे
उसी बीच उनके जीवन में एक बहुत ही दुखद मोड़ तब आया जब 5 अक्टूबर 1818 को अपराहन की मां की मृत्यु हो गई उस समय अब्राहम केवल 9 साल के थे मां की मृत्यु के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी अब्राहम की बहन सारा पर आ गई उस समय सारा भी केवल 11 साल की थी 1 साल बाद घर की परेशानियों को देखते हुए थॉमस ने एक विधवा महिला से शादी कर ली जिसका नाम सारा ब्रूस जॉनसन था उस महिला के 3 बच्चे पहले से थे अब्राहम को सौतेली मां ने उसकी सगी मां से भी ज्यादा प्यार दिया और कभी भी मां की कमी महसूस नहीं होने दी साथ ही साथ उसने उनकी पढ़ाई लिखाई में भी पूरी सहायता की अब्राहम भी अपनी सौतेली मां को बहुत मानते थे
राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि मैं आज जो भी हूं उसका पूरा श्रेय मेरी मां को जाता है अब्राहम के पिता उसे बहुत ही क्रूर व्यवहार रखते थे और वह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि वह पढ़ाई लिखाई करें इसीलिए अपना खुद का खर्च चलाने के लिए बचपन में सीखे हुए बढ़ई के काम का इस्तेमाल करके एक नांव बनाई और नौकावाहक बनकर माल ढोने का काम शुरू कर दिया साथ ही साथ लोगों के खेतों में जाकर काम भी करते थे कुछ समय बाद उनकी एक दुकान में नौकरी लग गई और वहां उन्हें पढ़ाई का भी थोड़ा समय मिलने लगा यहीं पर रहते हुए उन्होंने अपने खुद के दम पर बिना किसी कॉलेज के लॉ पढ़ाई शुरू कर दी
लॉ की पढ़ाई के समय ही एक बार उन्हें पता चला की नदी के दूसरी तरफ कि गांव में एक रिटायर्ड जज रहते हैं जिसके पास लॉ की बहुत सारी किताबें हैं लिंकन ने यह तय किया कि वह उस जज के पास जाएंगे और उसे रिक्वेस्ट करेंगे कि वे अपने किताबों की कलेक्शंस को उन्हें भी पढ़ने दे उन दिनों बहुत ही जोरदार कड़ाके की ठंड पड़ रही थी लेकिन लिंकन में बिना किसी परवाह के बर्फीली नदी में अपनी नाव उतार दी थोड़ी दूर जाने पर उनका नांव एक बर्फ से टकरा गया और वहीं पर टूट गया फिर भी लिंकन ने हार नहीं मानी और तैरते हुए नदी को पार कर उस जज के घर पहुंच गए और किताबों को पढ़ने की रिक्वेस्ट की
जज ने अब्राहम के लगन को देखते हुए उन्हें अपनी किताबों को पढ़ने की अनुमति दे दी लेकिन उस समय उनके घर पर काम करने वाला नौकर छुट्टी पर था इसीलिए उन्होंने अपने घर के कामों को करने के लिए कहा जिसे अब्राहम ने भी खुशी-खुशी स्वीकार कर ली अब्राहम उसके घर के लिए जंगल से लकड़िया चुन कर लाते,उनके जरुरत का पानी भरते साथ ही साथ घर का हर काम करते थे और इसके बदले उन्हें सिर्फ किताब पढ़ने को मिलता था लकिन अब्राहम इससे भी बहुत खुश थे
कुछ समय के बाद एक गांव में पोस्ट मास्टर बन गए जिसकी वजह से लोग उन्हें जानने लग गए थे और उनका सम्मान करने लगी अब्राहम लिंकन ने स्थानीय लोगों की परेशानी को देखते हुए राजनीति में घुसने का सोचा क्योंकि उस समय दास प्रथा चरम पर था लिंकन को शुरू से गुलामों पर हो रहे अत्याचारों से सख्त नफरत थी और वह दास प्रथा को खत्म करना चाहते थे इसी विचार के साथ उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उस चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा उधर चुनाव लड़ते समय उन्होंने पोस्ट मास्टर की नौकरी भी छोड़ दी थी जिससे उनके पास पैसों की बहुत कमी हो गई अब्राहम लिंकन वैसे तो महिलाओं से दूर ही रहते थे
लेकिन 24 साल की उम्र में रूट लेज़ नाम की महिला से बेपनाह मोहब्बत हो गयी लेकिन दुर्भाग्य से कुछ दिनों के बाद ही एक गंभीर बीमारी से रूट लेज़ की मौत हो गयी रूट लेज़ की मौत से अब्राहम को गहरा सदमा पंहुचा था और कुछ घंटो घंटो तक अपनी प्रेमिका की कब्र के पास बैठकर आंसू बहाया करते थे अब्राहम लिंकन के जीवन में सब कुछ उनके खिलाफ चल रहा था लिंकन का एक समय ऐसा भी था कि वह अपनी जिंदगी से इतना निराश हो चुके थे कि वह चाकू छोरों से दूर रहते थे क्योंकि उन्हें डर था कि वह खुद को ना मार ले उस समय उनकी एक मित्र ओलिव ग्रीन ने उनका मनोबल बढ़ाया और उनको डिप्रेशन से बाहर निकाला
अपने दोस्त की मदद से अब्राहम फिर से विधायक का चुनाव लड़े और इस बार चुनाव जीत गए उसके बाद उनकी सबसे युवा विधायकों में की जाने लगी और फिर धीरे-धीरे उन्होंने युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया अप विधानसभा में खुलकर बोलते थे जिसकी वजह से वहां भी उनकी बातों को महत्व दिया जाने लगा था उनके द्वारा स्प्रिंगफील्ड को नई राजधानी बनाने के मुद्दे पर सरकार को उनकी बात माननी पड़ी थी अब्राहम लिंकन को अब वकील बनने के लिए लाइसेंस मिल गया था और उनकी मुलाकात एक मशहूर वकील स्टुअर्ट से हुई वे एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने लगे लेकिन कुछ दिनों तक काम करने के बाद स्टुअर्ट ने उनका साथ छोड़ दिया और अब्राहम वकालत में भी असफल हो गए
क्योंकि वह गरीबों की केस लड़ने के लिए फी नहीं लेते थे और पूरा जीवन कभी भी झूठा मुकदमा नहीं लड़ा लेकिन उन्होंने असफल ही 20 सालों तक वकालत की उस काम को करने पर उन्हें मानसिक शांति मिलती थी उनके एक सहयोगी वकील ने एक बार मानसिक रोगी महिला की जमीन पर कब्जा करने वाले एक दबंग आदमी को अदालत से सजा दिलवाई मामला अदालत में केवल 15 मिनट तक ही चला जिसके बाद सहयोगी वकील ने महिला के भाई से पूरी फी उसके बाद उस वकील ने अब्राहम से खुशी-खुशी बताया कि उस महिला ने पूरी फी चूका दी है और वह अदालत के निर्णय से बहुत खुश है लेकिन लिंकन ने तुरंत कहा कि मैं खुश नहीं हूं वह पैसा एक बेचारी रोगी महिला का है और मैं ऐसा पैसा लेने के बजाय भूखे मरना पसंद करूंगा अगर तुम्हें अपनी फी चाहिए तो तुम ले लो लेकिन मेरे हिस्से के पैसे उसे तुरंत वापस कर दो
1842 में अब्राहम ने मैरी नाम की एक लड़की से शादी कर ली मैरी ने एक के बाद एक चार बेटों को जन्म दिया लेकिन उनमें से 1846 में जन्मा केवल रॉबर्ट ही जीवित रह सका और बाकी सभी बच्चों की बचपन में ही मौत हो गयी 1860 में इनकम संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़े और आखिरकार अमेरिका के 16वे में राष्ट्रपति बनकर उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी सफलता हासिल की 6 नवंबर 1860 को अमेरिका के 16वे राष्ट्रपति बनने के बाद में ऐसे महत्वपूर्ण कार्य किये जिसका राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है
लिंकन की सबसे बड़ी उपलब्धि अमेरिका को गृह युद्ध से निकालना था अमेरिका के संविधान में संशोधन द्वारा दास प्रथा के अंत का श्रेय भी लिंकन को ही जाता है 14 अप्रैल 1865 को राष्ट्रपति लिंकन और उनकी पत्नी वाशिंगटन डीसी में होम थिएटर में एक नाटक देखने आए हुए थे जहां एक मशहूर अभिनेता जॉन मिलकैफ ने उन्हें गोली मार दी और अगले ही दिन 15 अप्रैल 1865 को अब्राहम की मौत हो गई दोस्तों अब्राहम लिंकन संघर्ष के बाद इतनी बड़ी सफलता हासिल की उससे हमें यही सीख मिलती है कि जिंदगी में अगर कुछ पाना है तो हमें कभी हार ना मानने वाली सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा
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